Shodashi - An Overview
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
Shodashi’s mantra boosts devotion and faith, encouraging devotees create a deeper link on the divine. This reward instills have faith in while in the divine system, guiding people today as a result of troubles with grace, resilience, and a sense of goal within their spiritual journey.
दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।
In the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered as being a pivotal deity in guiding devotees in direction of Moksha, the last word liberation through the cycle of start and Demise.
ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः
Celebrated with fervor throughout Lalita Jayanti, her devotees seek her blessings for prosperity, knowledge, and liberation, discovering solace in her numerous sorts as well as the profound rituals connected to her worship.
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा click here पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
Her purpose transcends the mere granting of worldly pleasures and extends to the purification from the soul, leading to spiritual enlightenment.
Out of curiosity why her father didn't invite her, Sati went on the ceremony Though God Shiva tried out warning her.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram